
जिलाउल हक मामले में दस साल बाद इंसाफ
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देवरिया। यूपी के देवरिया जिले के जुआफर टोला निवासी डीएसपी जियाउल हक की हत्या का मामले में दस साल बाद पीड़ित पक्ष को न्याय मिला।
गौरतलब है कि 2 मार्च 2013 को प्रतापगढ़ में तैनाती के दौरान आक्रोशित भीड़ ने जियाउल हक की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी।
अखिलेश यादव सरकार में थे। उनके मंत्री रहे रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया पर भी हत्या का आरोप लगा था, लेकिन सीबीआई जांच के बाद उन्हें क्लीन चिट दे दी।
सीबीआई को सौंपी गई इस हत्याकांड की जांच में सालों बाद इंसाफ मिला है।
लखनऊ सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने इस मामले में 10 दोषियों फूलचंद यादव, पवन यादव, मंजीत यादव, घनश्याम सरोज, राम लखन गौतम, छोटेलाल यादव, राम आसरे, मुन्ना पटेल, शिवराम पासी और जगत बहादुर पाल उर्फ बुल्ले पाल को आजीवन जेल की सजा सुनाई।
डीएसपी जियाउल हक के पिता शमशुल हक ने अदालत के फैसले पर संतोष जाहिर किया है। उन्होंने कहा, जैसे हमारे बेटे की मौत के बाद हमें असंतोष और दर्द था, वैसे ही अब दोषियों के परिजनों को भी होगा।
11 साल के लंबे इंतजार के बाद न्याय मिला है। एक बेटे की हत्या के बदले 10 लोगों को उम्रकैद हुई। हम फैसले से पूरी तरह संतुष्ट हैं।
इस हत्याकांड में सबसे चर्चित नाम था रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का, जिन्हें शुरुआती जांच में आरोपी बनाया गया था। हालांकि, सीबीआई ने बाद में उन्हें क्लीन चिट दे दी थी।
इस फैसले के बाद देवरिया और प्रतापगढ़ में मामला फिर से सुर्खियों में आ गया है।